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RBI ने ब्रिटेन से भारत वापस आया 100 टन सोना

RBI


RBI returned 100 tons of gold from Britain to India

जब भारत ब्रिटेन से 100 टन सोना लौटाता है, तो इसे विशेष तौर पर RBI द्वारा उपयोग किया जा सकता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) सोने को रख सकता है या फिर इसे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचकर विदेशी मुद्रा की कमी को पूरा कर सकता है।

इस प्रकार के सोने का आयात भारत के लिए कई फायदे प्रदान कर सकता है:

  1. रिजर्व की वृद्धि:

 सोने को रखने से RBI के पास अधिक रिजर्व होती है, जो भारतीय रुपया की स्थिरता को सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है।

बेचकर प्राप्त विदेशी मुद्रा का उपयोग भारतीय विकास पर सुधार करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि बिजनेस या अन्य आवश्यकताओं के लिए विदेशी निवेश करना।

इस सोने का आयात निवेशकों को एक और विकल्प प्रदान करता है जिससे वे अपने निवेश पोर्टफोलियो को विस्तारित कर सकते हैं।

सोने का आयात आर्थिक उद्दीपन को बढ़ावा दे सकता है, जो अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में निवेश किया जा सकता है।

इन सभी कारणों से, सोने का आयात भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता और विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकता है।

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भारतीय रिजर्व बैंक के पास मार्च 2024 तक कुल सोना 822.10 टन था. इसका बड़ा हिस्‍सा विदेश में रखा गया है. अब  बैंक ऑफ इंग्‍लैंड से रिजर्व बैंक ने  100 टन सोना वापस मंगाया है. ऐसे में भारत में रिवर्ज बैंक के पास कुल सोना 408 टन है. इसका मतलब है कि आरबीआई का भारत में और विदेश में रखा हुआ सोना लगभग बराबर है.

आरबीआई के पास विदेश में लगभग 413.8 टन सोना रखा हुआ है. यह सोना मुख्य रूप से बैंक ऑफ इंग्लैंड, स्विस नेशनल बैंक और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के वॉल्ट्स में रखा हुआ है. हाल ही में आरबीआई ने बैंक ऑफ इंग्लैंड से 100 टन सोना वापस मंगाया है, जिसके बाद विदेश में आरबीआई के पास लगभग 313.8 टन सोना रखा हुआ है.

आरबीआई अपना सोना विदेश में रखता है क्योंकि,

भारत ने  साल 1990-91 के विदेशी मुद्रा संकट के दौरान 405 मिलियन डॉलर का लोन लेने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड को अपने सोने के भंडार का एक हिस्सा गिरवी रख दिया था. पर नवंबर 1991 तक लोन चुका दिया गया था. लेकिन आरबीआई ने लॉजिस्टिक कारणों से गोल्ड को यूके में ही रखने का विकल्प चुना. विदेश में रखे सोने का उपयोग स्वैप,रिटर्न और कारोबार  के लिए किया जा सकता है. इसके अलावा, आरबीआई इंटरनेशनल मार्केट से भी सोना खरीदता है, ताकि आसानी से किसी लेनेदेन के लिए उपयोग किया जा सके.

आरबीआई इतने सारे सोने का उपयोग कई तरह से करेगा. सोना आरक्षित निधि के रूप में रखा जाता है, जिसका उपयोग मुद्रा के मूल्य को समर्थन देने और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा, सोना का उपयोग अंतरराष्ट्रीय लेन-देन, स्वैप और रिटर्न के लिए भी किया जा सकता है. आरबीआई सोना का उपयोग देश की विदेशी मुद्रा भंडार को विविधता प्रदान करने के लिए भी करता है, जिससे किसी एक मुद्रा पर निर्भरता कम हो जाती है.

  1. रिजर्व के रूप में:

 सोने को रिजर्व के रूप में रखा जा सकता है, जिससे देश के वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सकता है।

सोने को बेचकर विदेशी मुद्रा की आपूर्ति में मदद की जा सकती है, जो देश की वित्तीय स्थिति को सुधारने में मदद कर सकती है।

यह सोना निवेश के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे विभिन्न वित्तीय संस्थानों और निवेशकों को उपलब्धि प्राप्त हो सकती है।

सोने का अधिग्रहण भविष्य में किसी आकस्मिक आवश्यकता के लिए एक सुरक्षा उपाय के रूप में किया जा सकता है।

आरबीआई ने वापस मंगाया सोना क्योंकि पिछले कुछ सालों में भू-राजनीतिक तनाव के कारण इंटरनेशनल स्तर पर सोना रिवर्ज करके रखना जोखिम भरा हो सकता है. विशेष रूप से पश्चिमी देशों की ओर से रूसी संपत्तियों को फ्रीज करने से विदेशों में रखी संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. इसलिए, आरबीआई ने अपने सोने के भंडार की सुरक्षा के लिए इसे वापस मंगाने का फैसला किया है.

A2Z NAUKARI

आरबीआई ने सोने की खूब खरीदारी की है. साल 2024 के पहले चार महीनों में ही आरबीआई ने पिछले पूरे साल में खरीदे गए सोने का डेढ़ गुना खरीदा है. यह खरीद डॉलर के वैल्यू में गिरावट के कारण हुई है. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के डेटा से पता चलता है कि नॉन-अमेरिकी केंद्रीय बैंकों की अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड की होल्डिंग मार्च 2023 में 49.8% से घटकर मार्च 2024 में 47.1% हो गई है.आरबीआई की ओर से सोने की खरीद फॉरेक्स रिजर्व में डाइवर्सिटी लाने, महंगाई और करेंसी अस्थिरता के खिलाफ बचाव की तैयारी का एक हिस्सा है. वित्त वर्ष 2024 में आरबीआई ने अपने भंडार में 27.47 टन सोना जोड़ा, जो पिछले वर्ष के 794.63 टन से बढ़कर 1.5 टन हो गया.

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